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History

शौण्डिक समाज का इतिहास

आरम्भ काल से आधुनिक काल तक सामाजिक परिवर्तनों का क्रमवार विश्लेषण ही सूड़ी-कथा सिर्फ एक जाति की कथा नहीं है बल्कि सम्पूर्ण सृष्टि की कथा है। सृष्टि कालीन सूड़ी किसी एक जाति के नहीं थे, वे समस्त पृथ्वी वासियों में कल्याणकारी भावों व देवगुणों के प्रर्वतक थे।

प्राचीन कालीन सूड़ियों के वंशज आज अन्य जातियों एवं अन्य धर्मो में भी हैं, जो सामाजिक, धार्मिक परिवर्तन के क्रम में अन्य जाति व धर्म में परिवर्तित हुए थे। इसलिए सभी जातियों व सभी धर्मों की यह कथा है। प्रकृति एवं सूर्य हमारे माता-पिता है। इन्होनें ही सभी सजीवों एवं निर्जीवों को उत्पन्न एवं विकसित किया है। इन्हें सम्मान दो। इनका आदर करो। इनकी पूजा करो। पेड़-पौधे, हवा, नदी एवं पृथ्वी के समस्त जीवों का आदर करो। उनकी सुरक्षा एवं संरक्षण करो। सबसे प्यार करो। सब में परमात्मा को मानो। सबमें श्रेष्ठ तत्व है ऐसा मानकर उनके महत्व को समझो। यही विचारधारा सूर्य (या सूडी) विचारधारा थी। सूर्य निस्तंर गतिशील है हमें भी निरंतर कर्म करना चाहिए। सूर्य ऊर्जा एवं प्रकाश देते हैं, हमें भी ज्ञान और प्रेरणा देना चाहिए। सूर्य उदय एवं अस्त काल में लाल रहते हैं. हमें भी दुःख एवं सुख में एक समान रहना चाहिए। सूर्य अंधकार दूर करते हैं, हमें भी अज्ञानता दूर करनी चाहिए। यही विचारधारा सूर्य (सूड़ी) विचारधारा थी।

क्या सूर्यवंशी या शौण्डिक क्षत्रिय थे?

'क्षत्रिय' शब्द का आधुनिक भाषा में अर्थ है- सैनिक क्या सूर्यवंशी या शौण्डिक सैनिक थे? इस प्रश्न का उत्तर है-लुटेरों के आक्रमण काल में सूर्यवंशी एवं शौण्डिक लोग सैनिक भी बने थे। उदाहरण के तौर पर गुरू गोविन्द सिंह (जो सूड़ी परिवार में जन्में थे) के बचपन का नाम था गोविन्द राय। मुगल आक्रमनकारियों से भारतीय विचारधारा एवं भारतीयों की रक्षा के लिए वे सैनिक बन गए एवं खालसा पंथ की स्थपना की। उन्होंने अपने नाम में सिंह धारण कर लिया जबकी सिख गुरुओं के नाम में सिंह शब्द का प्रयोग नहीं होता था। हमारा धर्म मूल रूप में प्रकृतिधर्म था। प्राकृतिक संसाधनों के उत्तम संशोधन से भारतीय धरती हमेशा धनवान थी। इस लिए लुटेरे भारतीय भूमि पर आक्रमण करते रहते थे। उन्हीं से रक्षा के लिए सूर्यवंशियों या शौण्डिकों का एक वर्ग स्थायी रूप से सैनिक बन गया था। इसलिए कहा जाता है कि सूर्यवंशी या शौण्डिक क्षत्रिय थे।

क्या सूड़ी वैश्य है?

आदिकाल में सूड़ी प्रकृति पूजक पुरोहित थे। फिर बहुत से सूड़ियों ने कृषि, पशुपालन एवं व्यापार अपनाया और वैश्य बन गए। इन वैश्यों के कारण भारत भूमि धनवान हो गई थी क्योंकि ऋषि (ऋषिगणों) के द्वारा प्राकृतिक संसाधनों के अनुसंधान से विविध खाद्य पदार्थ एवं वस्तुओं का श्रृजन हुआ था। धनवान भारत पर जब लुटेरे निरंतर आक्रमण करने लगे, तो बहुत से सूड़ियों को क्षत्रिय (सैनिक) बनना पड़ा। जब भारत भूमि पर सूड़ियों को नापसंद करने वालों का शासन आया तो सूड़ियों को निम्न भी बनना पड़ा। परन्तु सुड़िगण अपनी कर्मठता, लगनशीलता, व्यवहार कुशलता, सज्जनता और राष्ट्रहितवादिता के कारण इतिहास में अनेकों बार उठ खड़े हुए हैं। आधुनिक काल में सूड़ी जाति में जन्में स्वर्गीय डॉ० कपिलदेव शास्त्री वाराणसी स्थित सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में उपाचार्य (रीडर) के पद पर कार्यरत थे। उन्हें हम ब्राह्ममन कह सकते हैं। जो लोग सेनाओं में एवं पुलिस में कार्यरत हैं उन्हें हम क्षत्रिय कह सकते हैं। अन्य सूड़ी लोगों को हम वैश्य कह सकते हैं। सूर्यवंशियों ने हड़प्पा एवं मोहनजोदाडो बसाई थी।

शेरशाह सूरी, गोस्वामी तुलसीदास, महाराणा प्रताप एवं गुरूगोविन्द सिंह सूडी मूल के थे।

शेरशाह सूरी का नाम स्वतः प्रमाण है। किसी अन्य मुसलमान का नाम सूरी नहीं है। बंगाली में शेरशाह सूरी को सर साह सूरी लिखा जाता है। जब की भारत भूमि असम से अफगानिस्तान तक फैली थी तब सीमा की रक्षा के लिए सूडियों का एक दल कंधार में रखा गया था। जिसे वहाँ पठान कहा जाता था। इसलिए हिन्दी इंग्लिश भार्गव डिक्शनरी में सूर का एक अर्थ पठानों की जाती लिखा है। शेर शाह के पिता वहाँ नौकरी करते थे। शेरशाह का जन्म बिहार के रोहतास में हुआ था। उसे पठानों की भाषा पख्तुन बोलना भी नहीं आता था । वे तत्कालीन बिहार में ही पले बढ़े। वे सूड़ी वर्ग के व्यक्ति थे। गोस्वामी तुलसीदास जी सूड़ी मूल के व्यक्ति थे जो बाद में सरयु पारिण ब्रह्नान घोषित किए गए थे। सूर्य वंशियों से भावनात्मक जुड़ाव के कारण ही उन्होंने राम चरित मानस की रचना की थी। महाराणा प्रताप सूर्य वंशी क्षत्रिय थे इसलिए उनके झंडे में सूर्य देव का चिन्ह होता था। 'राणा' शब्द सूर्यवंशी योद्धाओं के लिए प्रयुक्त होता था, जिसे सूरवीर (सूर्य वीर) कहा जाता था। सिक्ख धर्म के चौथे गुरू रामदास से लेकर गुरू गोविन्द सिंह तक सभी सूड़ी थे। उसकाल में मुगलों से लड़ने वाले सभी लोग सूड़ी वर्ग के थे या सूड़ी वर्ग के समर्थक थे।

वर्तमान काल में सूड़ी एवं शौण्डिक वर्ग की स्थिति

सभी सूड़ी लोग अति प्राचीन काल में श्रेष्ठ थे। वे परमज्ञानी थे। सज्ञान सदाचार और सद्कर्म करके वे देवत्व एवं प्रभुत्व को प्राप्त किए थे। साधारण लोग भी कल्याणकारी भावनाओं से युक्त होने पर देवत्व को प्राप्त करते है। श्रेष्ठता का सम्मान, श्रृजनात्मकता की प्रवृत्ति, सामूहिकता समन्वयता का आचरण अपनाकर साधारण जातियां भी पृथ्वी पर प्रभुत्व प्राप्त करती है। वर्तमान काल में सूड़ी के उपनाम हैं-कारक, खर्गा, गामी, गाई, चौधरी, नायक, पंजियारा, पांडे, महतो, महंथा, मण्डल, सेठ, महासेठ, साव, साहू, साह, सोढ़ी, सरकार, सिन्हा, सिंह, शाहा, राउत, प्रसाद एवं गुप्ता । छत्तीसगढ़ प्रदेश, बिहार एवं झारखण्ड में सूड़ी / शौण्डिक पिछड़े जाति में है। पंजाब में ऊँची जाति में है।